बिजली बिल हो जाएगा जीरो! अब दीवारों से बनेगी बिजली! सोलर पैनल पेंट की अनोखी खोज

भारतीय वैज्ञानिकों ने ऐसा पेंट विकसित किया है जो दीवारों को बिजली पैदा करने वाला सोलर सेल बना देगा। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने डिस्कॉटिक लिक्विड क्रिस्टल से बना ऑर्गेनिक फ्लेक्सिबल सोलर सेल तैयार किया है, जिसकी लागत पारंपरिक सोलर पैनलों से 75% तक कम होगी। यह पर्यावरण के अनुकूल और हर सतह पर लगने योग्य तकनीक होगी।

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अब वो दिन दूर नहीं जब आपके घर की दीवारें ही बिजली बनाएंगी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मटेरियल साइंस के वैज्ञानिकों ने ऐसा प्रोटोटाइप तैयार किया है जो सौर ऊर्जा को बिजली में बदल सकता है। इस तकनीक को ऑर्गेनिक फ्लेक्सिबल सोलर सेल कहा जा रहा है, जिसे पेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। यानी भविष्य में जब आप दीवार पर रंग करवाने जाएंगे, तो सिर्फ रंग नहीं, बिजली भी मिल जाएगी।

कैसे काम करेगा यह अनोखा सोलर पेंट

इस सोलर सेल को डिस्कॉटिक लिक्विड क्रिस्टल मटेरियल से बनाया गया है। इस पदार्थ में तरल और क्रिस्टल दोनों के गुण होते हैं। तरल रूप के कारण यह पेंट की तरह लगाया जा सकता है, जबकि क्रिस्टल के कारण इसमें विद्युत प्रवाह सुचारू रूप से होता है। यही कारण है कि यह न सिर्फ लचीला है, बल्कि बिजली पैदा करने में भी कारगर है।

टिकाऊपन पर जारी है शोध

वैज्ञानिकों ने फिलहाल इस सोलर सेल का प्रोटोटाइप सफलतापूर्वक तैयार कर लिया है और यह लगभग 15 फीसदी दक्षता के साथ काम कर रहा है। हालांकि शोधकर्ताओं के अनुसार, टिकाऊपन को लेकर अभी काम चल रहा है। वर्तमान में जो सोलर पैनल बाजार में हैं, उनकी दक्षता 18 से 20 फीसदी तक होती है। ऐसे में यह नई तकनीक बहुत करीब पहुंच चुकी है और आने वाले वर्षों में व्यावहारिक उपयोग के लिए तैयार हो सकती है।

शोध में जुटे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक

इस प्रोजेक्ट पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविंद्र धर, बंगलूरु के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रो. संदीप कुमार, और राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, नई दिल्ली की प्रो. रितु श्रीवास्तव की संयुक्त टीम काम कर रही है। प्रो. धर बताते हैं कि यह प्रयास 1999 में जर्मनी में शुरू हुए शोध की एक नई शुरुआत है, जिसे अब भारतीय वैज्ञानिक एक नई दिशा दे रहे हैं।

सौर पैनलों के डंपिंग से मिलेगी राहत

वर्तमान में सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। देशभर में घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। लेकिन एक बड़ी समस्या यह है कि पुराने पैनल धीरे-धीरे बेकार हो रहे हैं, जिनका निपटान (डंपिंग) पर्यावरणीय संकट बन सकता है। ऐसे में यह ऑर्गेनिक लिक्विड सोलर सेल तकनीक पर्यावरण-अनुकूल विकल्प साबित हो सकती है क्योंकि इसमें भारी धातुओं का प्रयोग नहीं होता।

लागत में भी होगी बड़ी बचत

नए प्रोटोटाइप की लागत पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में काफी कम बताई जा रही है। प्रो. धर के अनुसार, इसकी कीमत पारंपरिक पैनलों की सिर्फ 25 फीसदी तक ही होगी। यानी आम लोग भी अपने घरों की दीवारों या छत पर “सोलर पेंट” लगाकर बिजली बनाना शुरू कर सकेंगे। यह भारत जैसे देश में सौर ऊर्जा को वास्तव में जन-जन तक पहुंचाने वाला कदम साबित हो सकता है।

लचीला डिजाइन, हर सतह पर उपयोगी

इस सोलर सेल को सिर्फ दीवारों पर ही नहीं, बल्कि चादर-जैसी शीट के रूप में भी तैयार किया जा सकेगा। इसे किसी भी सतह — चाहे छत हो, गोलाकार टैंक या मुड़ी हुई दीवार पर आसानी से लगाया जा सकता है। इसका लचीला और हल्का डिजाइन इसे घरेलू और औद्योगिक दोनों तरह के उपयोग के लिए उपयुक्त बनाता है।

ऊर्जा क्रांति की नई शुरुआत

भारत में ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है और पर्यावरणीय खतरे भी साथ बढ़ रहे हैं। ऐसे में ऑर्गेनिक फ्लेक्सिबल सोलर सेल तकनीक एक नया समाधान लेकर आई है। यह न केवल सस्ती और टिकाऊ है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। आने वाले वर्षों में जब यह तकनीक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होगी, तब हर घर साफ-सुथरी और हरित ऊर्जा का स्रोत बन जाएगा, सच में, दीवारें बोलेंगी “अब बिजली हमारी खुद की है।”

Author
Pinki

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