उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और तराई क्षेत्र में एक नई रेल परियोजना ने विकास की नई उम्मीदें जगा दी हैं। खलीलाबाद से बहराइच तक बन रही 240 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन बहराइच को रेलवे का प्रमुख केंद्र बना देगी। इससे यात्रा आसान होने के साथ ही व्यापार और रोजगार के अवसरों में जबरदस्त इजाफा होगा।

Table of Contents
परियोजना का पूरा खाका
यह रेल मार्ग संतकबीरनगर के खलीलाबाद से निकलकर सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती और अंत में बहराइच पहुंचेगा। कुल लंबाई 240 किलोमीटर की इस लाइन पर कई नए स्टेशन, पुल और रोड-ओवर ब्रिज बनाए जा रहे हैं। सरकार ने इसके लिए 4940 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च स्वीकृत किया है, और जमीन लेने का सारा काम हो चुका है। पहले चरण का 80 किलोमीटर हिस्सा अगले साल तैयार हो सकता है।
बहराइच को क्यों मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?
बहराइच अब रेल नेटवर्क का अहम हिस्सा बनेगा, जहां से ट्रेनें सीधे राजधानी और अन्य शहरों को जाएंगी। पहले इस जिले की कनेक्टिविटी कमजोर होने से व्यापार प्रभावित रहता था, लेकिन अब मालगाड़ियां और पैसेंजर ट्रेनें बढ़ेंगी। इससे उद्योग लगने और निवेश आने की संभावना मजबूत हो गई है। स्थानीय लोग भी उत्साहित हैं।
पांच जिलों की बदलेगी तस्वीर
- बहराइच: रेल केंद्र बनकर व्यापार और पर्यटन में उछाल।
- श्रावस्ती: रेल से जुड़ाव से तीर्थस्थलों पर पहुंच आसान, पर्यटक बढ़ेंगे।
- बलरामपुर: किसानों को फसलें बाजार तक जल्दी पहुंचाने में सुविधा।
- सिद्धार्थनगर: सफर का समय कम, नौकरियों के मौके खुलेंगे।
- संतकबीरनगर: शुरुआती बिंदु होने से इलाके की अर्थव्यवस्था मजबूत।
इलाके के लोगों पर क्या पड़ेगा असर?
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को अब बड़े शहरों तक पहुंचने में कम वक्त लगेगा, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी सुधरेगी। कृषि उत्पादों की ढुलाई तेज होगी, और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। कुल मिलाकर यह प्रोजेक्ट तराई के इन हिस्सों को प्रगति की राह पर तेजी से ले चलेगा। भविष्य में यहां की समृद्धि नई ऊंचाइयों छुएगी।

















