बिहार में गंगा नदी के तट पर भागलपुर और मुंगेर को जोड़ने वाला मरीन ड्राइव प्रोजेक्ट अब जमीन अधिग्रहण के चरण में प्रवेश कर चुका है। यह महत्वाकांक्षी योजना स्थानीय इलाकों में प्रॉपर्टी कीमतों को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है, जिससे निवेशकों में उत्साह का माहौल है। प्रोजेक्ट से ट्रैफिक सुगमता के साथ-साथ पर्यटन और व्यापार को बड़ा झटका लगेगा।

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प्रोजेक्ट का विस्तार और समयसीमा
यह करीब 75 से 80 किलोमीटर लंबा फोरलेन ऊंचा सड़क प्रोजेक्ट दो हिस्सों में बनेगा। पहला हिस्सा मुंगेर के सफियाबाद से सुल्तानगंज तक 35 किलोमीटर का होगा, जबकि दूसरा सुल्तानगंज से भागलपुर के सबौर तक 40 किलोमीटर लंबा रहेगा। कुल खर्च 8300 करोड़ रुपये से अधिक का अनुमान है, और दिसंबर 2025 से निर्माण कार्य धरातल पर उतर सकता है।
प्रशासन ने दोनों जिलों में भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार कर लिया है। सरकारी जमीन का अधिकतम उपयोग होगा, जबकि निजी भूमि के लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन और उचित मुआवजा सुनिश्चित किया जाएगा। अगले कुछ दिनों में चिह्नीकरण और सीमांकन पूरा हो जाएगा, जिसके बाद निर्माण एजेंसी काम शुरू करेगी।
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प्रॉपर्टी बाजार में उछाल
प्रोजेक्ट की घोषणा के बाद गंगा किनारे भतोड़िया, भाथाचक, नाथनगर, अकबरनगर, शाहकुंड और मिर्जाचौकी जैसे क्षेत्रों में जमीन के दाम आसमान छूने लगे हैं। पहले जहां एक कट्ठा जमीन 5-8 लाख में मिल जाती थी, अब सड़क से सटे प्लॉट 25 से 45 लाख रुपये तक बिक रहे हैं। पिछले आठ वर्षों में ये कीमतें पांच गुना से ज्यादा बढ़ चुकी हैं।
- सड़क किनारे के प्लॉट: 25-30 लाख प्रति कट्ठा।
- फोरलेन क्षेत्र के अंदरूनी हिस्से: 18-22 लाख प्रति कट्ठा।
- मिर्जाचौकी जैसे स्पॉट: 40-45 लाख तक पहुंचे।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा लाभ
यह मरीन ड्राइव अजगैवीनाथ धाम और सुल्तानगंज जैसे धार्मिक स्थलों को बेहतर तरीके से जोड़ेगी, जिससे पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा। व्यावसायिक केंद्र, बस सेवाएं और आवासीय परियोजनाएं बढ़ेंगी, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। पर्यावरण मंजूरी पूरी होते ही दोनों जिलों में एक साथ तेजी आएगी, और क्षेत्र का चेहरा बदल जाएगा।

















