देशभर के सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति दर्ज करने का पुराना रजिस्टर वाला सिस्टम अब इतिहास बन चुका है। इसके बजाय आधुनिक डिजिटल तकनीक जैसे टैबलेट और चेहरा पहचानने वाले सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू हो गया है। यह बदलाव इसलिए लाया गया है ताकि हर बच्चे की वास्तविक मौजूदगी सुनिश्चित हो और स्कूलों में अनियमितताएं खत्म हों। अभिभावकों को अब रोजाना अपने बच्चे की अटेंडेंस पर नजर रखनी होगी, क्योंकि यह सीधे पढ़ाई और परीक्षा पर असर डालेगी।

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नया डिजिटल हाजिरी सिस्टम क्या है?
यह नया सिस्टम पूरी तरह ऑनलाइन है, जहां क्लास टीचर को हर सुबह एक खास ऐप पर छात्रों का ग्रुप फोटो अपलोड करना पड़ता है। फोटो में हर बच्चे का चेहरा साफ नजर आना चाहिए, ताकि सिस्टम खुद ही उपस्थिति चेक कर ले। कुछ स्कूलों में फेस रिकग्निशन कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो बच्चे के चेहरे को स्कैन करके तुरंत रिकॉर्ड बना देते हैं। शिक्षकों की हाजिरी भी इसी तरह अलग टैबलेट से होती है। अगर कोई बच्चा अनुपस्थित रहता है, तो सिस्टम अभिभावक के मोबाइल पर तुरंत मैसेज भेज देता है। इस तरह पारदर्शिता बनी रहती है और कोई छेड़छाड़ नहीं हो पाती।
अटेंडेंस लगाने की पूरी प्रक्रिया
सुबह स्कूल पहुंचते ही टीचर टैबलेट ऑन करते हैं और ऐप खोलते हैं। फिर बच्चों को एक लाइन में खड़ा करके फोटो क्लिक की जाती है। सिस्टम फोटो एनालाइज करता है और नाम के साथ हाजिरी मार्क कर देता है। अगर मौसम खराब हो या लाइट कम हो, तो अतिरिक्त चेक के लिए जीपीएस लोकेशन भी वेरिफाई होती है। हाई क्लासेस जैसे 9वीं से 12वीं में यह अनिवार्य है। अभिभावक ऐप डाउनलोड करके खुद भी लाइव स्टेटस देख सकते हैं। महीने के अंत में रिपोर्ट कार्ड में पूरी डिटेल आ जाती है।
अभिभावकों के लिए जरूरी नियम और सीमाएं
केंद्रीय बोर्ड ने साफ कहा है कि 10वीं और 12वीं के छात्रों को कम से कम 75 प्रतिशत अटेंडेंस जरूरी है। इससे कम होने पर बोर्ड परीक्षा में बैठना मुश्किल हो जाएगा। मेडिकल ग्राउंड या स्पोर्ट्स इवेंट पर छूट मिल सकती है, लेकिन डॉक्टर का सर्टिफिकेट या प्रमाण-पत्र दिखाना पड़ेगा। प्राइवेट वजहों से बार-बार छुट्टी न लें, वरना स्कूल चेतावनी जारी कर सकता है। अभिभावक बच्चे को समय पर स्कूल भेजें और ऐप पर नोटिफिकेशन चेक करते रहें।
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इस सिस्टम से क्या फायदे मिलेंगे?
यह बदलाव स्कूलों को ज्यादा कुशल बनाएगा। सबसे बड़ा लाभ यह है कि फर्जी हाजिरी का खेल खत्म हो जाएगा, क्योंकि फोटो और लोकेशन सबूत हैं। मिड-डे मील या अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ सही बच्चों को मिलेगा। बच्चे नियमित आने से पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करेंगे। टीचरों को भी समय बचेगा, जो वे पढ़ाने में लगाएंगे। लंबे समय में शिक्षा का स्तर ऊंचा उठेगा और ड्रॉपआउट रेट कम होगा।
आगे क्या होगा? तैयारी कैसे करें?
जनवरी 2026 तक यह सिस्टम पूरे देश में लागू हो जाएगा। अभिभावक अभी से स्कूल से संपर्क करें और ऐप इंस्टॉल कर लें। बच्चे को फोटो के लिए साफ-साफ चेहरा रखने की आदत डालें। अगर कोई समस्या हो, तो स्कूल प्रिंसिपल से बात करें। यह नया नियम बच्चों के भविष्य को मजबूत बनाएगा, इसलिए सभी मिलकर इसका पालन करें।

















